शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

शब्द

शब्द में भी द्वन्द है
मैं मुक्त हूँ कोई और हूँ
अश्रुओं की एक पंक्ति
या की निर्मल छोर हूँ...
जैसा इच्छुक वैसी सृष्टि
भाव भक्ति बोल दृष्टि
बज गया मुझमें
तो वह है अर्थ
और मैं शोर हूँ...
शब्द में भी द्वन्द है
मैं मुक्त हूँ कोई और हूँ ।

करुणा सक्सेना