शब्द में भी द्वन्द है
मैं मुक्त हूँ कोई और हूँ
अश्रुओं की एक पंक्ति
या की निर्मल छोर हूँ...
जैसा इच्छुक वैसी सृष्टि
भाव भक्ति बोल दृष्टि
बज गया मुझमें
तो वह है अर्थ
और मैं शोर हूँ...
शब्द में भी द्वन्द है
मैं मुक्त हूँ कोई और हूँ ।
करुणा सक्सेना
मैं मुक्त हूँ कोई और हूँ
अश्रुओं की एक पंक्ति
या की निर्मल छोर हूँ...
जैसा इच्छुक वैसी सृष्टि
भाव भक्ति बोल दृष्टि
बज गया मुझमें
तो वह है अर्थ
और मैं शोर हूँ...
शब्द में भी द्वन्द है
मैं मुक्त हूँ कोई और हूँ ।
करुणा सक्सेना
बहुत सुन्दर,,,
जवाब देंहटाएंशब्द
नारी का प्रतिरूप
शब्द की कोई
व्याख्या ही
नही हो सकती
ब्लॉग को फॉलो करने की जगह बनवाइए
सादर
यशोदा जी... कविता पसन्द करने के लिए आपका हृदय से आभार। ब्लॉग फॉलो करने का स्थान बना दिया है। पुनः आभार।
हटाएंसुन्दर।
जवाब देंहटाएंसादर आभार।
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