शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

किताबें और बालिका शिक्षा

छोटी छोटी किताबें
करती रहीं संघर्ष
कलम भी कागज़ों के पीछे
सहमी हुई 
माँगती रही हक़....
बराबरी का !

बाँकपन में कंचों का खेल
उंगलियों का
अभ्यास होता है !
तो क्या सारे खेल
उंगलियों से नही खेले जाते ?

लापरवाह गेंद हँसती रही
गम्भीर घड़े टूटते रहे.... बेबस
वक़्त और जल
दोनों बह गए
वक़्त रुका नही
जल सूखा नही !

क्योंकि किताबें
करती रहीं संघर्ष
सहमे हुए शब्द
माँगते रहे हक़.......
बराबरी का !

ज़्यादा की चाह नही रही
मगर संतुलन को
नकार नही सकी
क्योंकि हर संघर्ष का उद्देश्य
संतुलन होता है ।



करुणा सक्सेना

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