एक दिन
उम्र के ढलते पड़ाव पर
कुछ ठिठक कर
देखा मैंने मुड़कर
कई आवाज़ें खड़ी कतारबद्ध
बुला रहीं थीं मुझे...
इस पूरे जीवन में
सुन चुकी थी सब कुछ
फिर भी आसान न था
अनदेखा या अनसुना कर पाना
आज भी..
समेटा अपने कदमों को
रुख़ किया आवाज़ो का
मुलाकात हुई
पहली आवाज़ से
यह थी
अधूरे ख्वाब की आवाज़
जिसे पाना न था
संसार का स्नेह
न दौलत
न देह...
पर अधूरी थी कहीं
आवाज़ और मैं
दोनों ही
असमंजस में
आज भी पूरा न कर पाने की
बेबसी में बढ़ गयी कुछ आगे
अगली आवाज़ की ओर..
सुनी मैंनें
एक कलश चावल की आवाज़
और दख़ल था मेरा
हर शय में...
उसका विराट फैलाव
मेरी पहचान बना
जीवन और सघंर्ष की पहचान
जिसे कोई पहचान ही न पाया..
दुखी है कलश
अब कर पाने में भरपाई !
बढ़ी मैं फिर कुछ आगे
खड़ी थी नज़रे झुकाए
मेरे मन की आवाज़...
घुट रही है आज भी
मेरे ही सामने
असमर्थ सी
और लड़खड़ाती हुई..
सम्बल दिया
और बढ़ गई मैं
बेचैन आवाज़ों की
अन्तहीन यात्रा पर...
करुणा सक्सेना
उम्र के ढलते पड़ाव पर
कुछ ठिठक कर
देखा मैंने मुड़कर
कई आवाज़ें खड़ी कतारबद्ध
बुला रहीं थीं मुझे...
इस पूरे जीवन में
सुन चुकी थी सब कुछ
फिर भी आसान न था
अनदेखा या अनसुना कर पाना
आज भी..
समेटा अपने कदमों को
रुख़ किया आवाज़ो का
मुलाकात हुई
पहली आवाज़ से
यह थी
अधूरे ख्वाब की आवाज़
जिसे पाना न था
संसार का स्नेह
न दौलत
न देह...
पर अधूरी थी कहीं
आवाज़ और मैं
दोनों ही
असमंजस में
आज भी पूरा न कर पाने की
बेबसी में बढ़ गयी कुछ आगे
अगली आवाज़ की ओर..
सुनी मैंनें
एक कलश चावल की आवाज़
और दख़ल था मेरा
हर शय में...
उसका विराट फैलाव
मेरी पहचान बना
जीवन और सघंर्ष की पहचान
जिसे कोई पहचान ही न पाया..
दुखी है कलश
अब कर पाने में भरपाई !
बढ़ी मैं फिर कुछ आगे
खड़ी थी नज़रे झुकाए
मेरे मन की आवाज़...
घुट रही है आज भी
मेरे ही सामने
असमर्थ सी
और लड़खड़ाती हुई..
सम्बल दिया
और बढ़ गई मैं
बेचैन आवाज़ों की
अन्तहीन यात्रा पर...
करुणा सक्सेना
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 23 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका।
हटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसादर आभार।
हटाएंWah ,karunaj ,bahut sunder
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका।
हटाएंउम्र के एक पड़ाव पर अपनी आवाज़ें हमसफ़र ही बन जाती हैं ... भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका आदरणीय।
हटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआभार आपका आदरणीया।
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