लिखीं हर कवि ने
प्रेम पगी कविताएं
अपने प्रारम्भिक दौर में
और बनाये सेतु
उतरने के लिए
महाकाव्य के पार !
शब्दों में बंधे भाव
और भावों में गुंथे
प्रेम में
कचियाए अनुभव
उतर आए
पतवार बनकर !
एक - एक चाप से
धर्म सिद्ध हुए
और दमक उठी प्रेमाग्नि
पहाड़ों के पार
नापते हुए
मीलों की यात्रा !
प्रेम में बिराजे
कुछ भगवान बनकर
कुछ एक भक्त हुए
और हम खड़े हैं
आज भी
तेरे द्वार
प्रेम में ।
करुणा सक्सेना
प्रेम पगी कविताएं
अपने प्रारम्भिक दौर में
और बनाये सेतु
उतरने के लिए
महाकाव्य के पार !
शब्दों में बंधे भाव
और भावों में गुंथे
प्रेम में
कचियाए अनुभव
उतर आए
पतवार बनकर !
एक - एक चाप से
धर्म सिद्ध हुए
और दमक उठी प्रेमाग्नि
पहाड़ों के पार
नापते हुए
मीलों की यात्रा !
प्रेम में बिराजे
कुछ भगवान बनकर
कुछ एक भक्त हुए
और हम खड़े हैं
आज भी
तेरे द्वार
प्रेम में ।
करुणा सक्सेना
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 25 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार यशोदा जी।
हटाएंसुन्दर ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय।
हटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शुभा जी
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